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साम्प्रदायिक नफरत के माहौल में मुस्लिम छात्रा की अनूठी मिसाल, सिर्फ 3 महीने में भगवद् गीता अनुवाद

तेलंगाना की एक मुस्लिम छात्रा हेबा फातिमा ने श्रीमद्भगवद्गीता गीता का उर्दू में अनुवाद किया है. हेबा ने एक किताब लिखी है, जिसमें गीता-कुरान की शिक्षाओं का समायोजन किया है.

इंसानी दिमाग की आदत चीजें भूल जाने की भी है. शायद इसलिए पूर्वजों ने शोधों से निकली जन हितैषी जानकारियां किताब-ग्रंथों के माध्यम से सहेज दीं ताकि भावी पीढ़ियों के लिए वे मैनुअल की तरह काम करें. जीवन में जब भी किसी समस्या का समाधान मिलता न दिखे, हर तरफ से नाउम्मीदी हाथ लगे और इंसाम सोचे कि अब क्या करें तो वह उन पन्नों को खोलकर देख ले और निदान पा ले. 

करीब पांच हजार साल पहले कुरुक्षेत्र के रण में जब अर्जुन अपने ही लोगों पर हथियार उठाने को लेकर व्यथित हो गए तो श्रीकृष्ण ने उन्हें हकीकत का ज्ञान कराया. अर्जुन श्रीकृष्ण के सखा और रिश्ते में उनके भाई लगते थे और उनकी बात सुनते थे. श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भौतिक सीमाओं से परे जीवन और आत्मा संबंधी ज्ञान दिया और कर्तव्य को सर्वोपरि बताते हुए उन्हें फैसला लेने की सलाह दी. अर्जुन माध्यम बने और गीता का ज्ञान दुनिया के भी काम आया. बतौर श्रीमद्भागवत गीता श्रीकृष्ण ने भी इंसान की भूल जाने वाली आदत का जिक्र अर्जुन से किया था. उन्होंने कहा था कि हम और तुम कई-कई बार धरती पर आ चुके हैं लेकिन मुझे याद और तुम भूल गए हो. 

अब तेलंगाना की एक मुस्लिम बेटी अपने अनूठे प्रयासों के चलते भगवान के उस ज्ञानवर्धक गीत का स्मरण लोगों को करा रही है और हिस्सों में बंटी इंसानियत को जोड़ने की महत्वपूर्ण पहल चला रही है. तेलंगाना के नजीमाबाद जिले के बोधन कस्बे के रकासी पेट इलाके में रहने वाली हेबा फातिमा ने तीन महीने में श्रीमद्भगवद्गीता के सभी 18 अध्यायों के 700 श्लोकों का अनुवाद उर्दू में कर दिया है. हेबा फातिमा ने पाक कुरान का भी अध्ययन किया है. उसने गीता और कुरान का निचोड़ निकालकर एक किताब लिख दी है, जिसका नाम है- ‘भागवतगीता और कुरान के बीच समानता’. 

हेबा फातिमा अपनी उम्र की आज की पीढ़ी से एकदम अलग हैं, चेहरे पर नकाब और सिर पर हिजाब धारण करती हैं और धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करती हैं. सोशल मीडिया माध्यमों को वह आध्यात्मिक शिक्षा का प्रसार करने के लिए इस्तेमाल करती हैं. हेबा के इस आचरण ने मीडिया और गुणीजनों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. कई स्थानीय समाचार चैनल उनका इंटरव्यू चला चुके हैं.

हेबा ने बताई गीता-कुरान की खास बात 

अन्य धर्मों के बारे में जानने की ललक ने उन्हें भागवतगीता पढ़ने का मौका दिया. वह कहती हैं कि गीता के अनुवाद में तीन महीने इसलिए लगे क्योंकि वह चाहती थीं कि सरल से सरल तरीके से इसे लोगों तक पहुंचाया जा सके, इसके लिए उन्हें शब्दों के सटीक अर्थ भी खोजने थे. बकौल हेबा गीत-कुरान का अध्ययन करके उन्होंने पाया कि दोनों ग्रंथों के करीब 500 श्लोक एक जैसी शिक्षा देते हैं. उन्होंने इन सभी को अपनी किताब में शामिल किया है. 

कई रिकॉर्ड्स में नाम हुआ दर्ज

हेबा फातिमा यूट्यूब पर सक्रिय हैं और गीता ज्ञान संबंधी वीडियो अपलोड करती रहती हैं. हेबा के इन प्रयासों के चलते उनका नाम वर्ल्ड वाइड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, मार्वलस बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और मैजिक बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो चुका है.

वर्तमान में फातिमा अंग्रेजी से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही हैं. उन्होंने इंटरमीडिएट की पढ़ाई उर्दू माध्यम से की  और बाद में ग्रेजुएशन के लिए अंग्रेजी को माध्यम चुना. हेबा फातिमा के पिता अहमद खान एक छोटे व्यापारी है. 

हेबा फातिमा का संदेश

हेबा कहती है, ”मानवता हमारा पहला धर्म होना चाहिए. अगर आप अच्छे इंसान नहीं है तो अच्छे मुस्लिम या हिंदू नहीं हो सकते हैं. ईश्वर केवल एक है और उसकी नजर हम सब बराबर हैं. किसी किताब का आकलन उसके कवर से न करें.” गौरतलब है कि हेबा के प्रयास सांप्रदायिक तनाव के दौर में कहीं ज्यादा प्रासंगिक हैं और मन को शांति का अहसास और ठहराव देते हैं.

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