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बाघ के शिकार के बाद पन्ना पार्क के आसपास भी बढ़ाई जाएगी गश्त

वर्ष 2009 में बाघों की पुनर्स्थापना के बाद पन्ना टाइगर रिजर्व और आसपास पहली बार शिकारी गतिविधि देखी जा रही हैं। इससे पार्क प्रबंधन और आसपास के सामान्य वनमंडल की सुरक्षा संबंधी तैयारियों पर सवाल उठ रहे हैं।

पांच दिन में शिकार और शिकार के प्रयास के दो मामले सामने आने के बाद पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघों-तेंदुओं की सुरक्षा को लेकर सरकार और वन अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है। अब पार्क के आसपास के क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने की तैयारी चल रही है। पार्क से सटे सामान्य वनमंडल में गश्त बढ़ाई जाएगी।

इस संबंध में संबंधित क्षेत्र के वनमंडल अधिकारियों को निर्देश दिए जा रहे हैं कि लगातार क्षेत्र में गश्त कराकर शिकारी गतिविधियों की जानकारी जुटाएं और उन्हें विफल करें। उल्लेखनीय है कि सात दिन पहले फंदे में फंसकर एक बाघ की मौत हुई है। इस घटना के पांच दिन बाद ही क्षेत्र में एक हायना फंदे में फंस गया।

वर्ष 2009 में बाघों की पुनर्स्थापना के बाद पन्ना टाइगर रिजर्व और आसपास पहली बार शिकारी गतिविधि देखी जा रही हैं। इससे पार्क प्रबंधन और आसपास के सामान्य वनमंडल की सुरक्षा संबंधी तैयारियों पर सवाल उठ रहे हैं।

छह दिसंबर को पार्क से सटे उत्तर वनमंडल पन्ना में स्थित विक्रमपुर गांव के नजदीक एक युवा बाघ फंदे पर लटका मिला था। मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को आपात बैठक बुलाकर प्रदेशभर में बाघ, तेंदुओं सहित अन्य वन्यप्राणियों की सुरक्षा पर गंभीरता से काम करने को कहना पड़ा। इसके सिर्फ चार दिन बाद उसी क्षेत्र में एक हायना फंदे में फंसा मिला। इससे पता चलता है कि सरकार की सख्ती के बाद भी क्षेत्र में शिकारी गतिविधि नहीं रुकीं। हालांकि गश्ती दल ने इसे समय से देख लिया और हायना को बचा लिया गया।

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